Monday, May 14, 2018

करम कारी नहीं लागण दै जद कांई हुवै



करम कारी नहीं लागण दै जद कांई हुवै?
भावार्थ:- भाग्य पैबन्द ही नहीं लगने दे तो क्या हो सकता है?
भाग्य साथ न दे तो क्या हो सकता है?
भाग्य ही साथ न दे तो प्रयत्न व्यर्थ है।

 (भाग्यं फलति सर्वत्र न विद्या न पौरुषम्)

Friday, May 11, 2018

एक आँख किसी खोले अर किसी मींचे  !
शब्दार्थ :- अगर किसी की एक ही आँख होतो कौनसी आँख को खोलो और कौनसी आँख को बंद कर दे  |

भावार्थ :- अगर किसी के पास कोई चीज़ या रास्ता चुनने का विक्लप ही न हो तो मज़बूरी वश उसे एक ही रास्ता चुनना पड़ता है