आक को कीड़ो आक में, और ढ़ाक को कीड़ो ढ़ाक में ई राज़ी रेवे .
शब्दार्थ
- आंकड़े का कीड़ा (जो कि अत्यंत जहरीला पौधा है, ढ़ाक (पलाश का पौधा जिसे
जंगल की आग भी कहते है ) का कीड़ा ढाक में खुश रहते हैं।
भावार्थ अर्थ :- व्यक्ति अपने परिवेश में ही प्रसन्न रहता है .