Thursday, May 19, 2011

आक को कीड़ो आक में, और ढ़ाक को कीड़ो ढ़ाक में ई राज़ी रेवे .

आक को कीड़ो आक में, और ढ़ाक को कीड़ो ढ़ाक में ई राज़ी रेवे .

शब्दार्थ - आंकड़े का कीड़ा (जो कि अत्यंत जहरीला पौधा है, ढ़ाक (पलाश  का पौधा जिसे जंगल की आग भी कहते है ) का कीड़ा ढाक में खुश रहते हैं।

भावार्थ अर्थ :- व्यक्ति अपने परिवेश में ही प्रसन्न रहता है .

खाँगी - बाँकी कंवारी रोटी !

खाँगी - बाँकी कंवारी रोटी !

अर्थ :- कोई भी वस्तू ,चाहे कैसी  भी हो , बिलकुल अनुपयोगी नहीं हो सकती है .

जायोड़ा ई गोरा नई होवै,तो नहायोडा कठेसुं होई !

जायोड़ा ई गोरा नई होवै,तो नहायोडा कठेसुं होई ?

शब्दार्थ : - जन्म से ही रंग गोरा नहीं हो तो,नहाने से गोरा कैसे होगा ?

भावार्थ  :- अगर किसी चीज़ के मूल में ही खोट हो तो,ऊपरी रूप से मरमत्त से कोई विशेष फायदा नहीं होगा .

खोड़ी बहु बुहारो काढ़े , सांत जणा पग पकड़ो जी !

खोड़ी बहु बुहारो काढ़े , सांत जणा पग पकड़ो जी !

शब्दार्थ :- एक पाँव से असक्षम बहु को झाड़ू निकलने का कार्य दिया,अब सांत लोग उसका पांव पकड़ो ( ताकि वो झाड़ू निकल सके )

भावार्थ :- असक्षम को कार्य भार दिया और मुसीबत मोल ले ली .

नाई नाई ! केस कित्ता ? सोमवार ने सामे आवै !

नाई नाई ! केस कित्ता  ? सोमवार ने सामे आवै !

शब्दार्थ  :-  बाल कटवाने से पहले व्यक्ति पूछता है की, नाई मेरे बाल कितने बड़े हो गए हैं। वो कहता है कि ,जब कटवाओगे तो पता लग जायेगा।

भावार्थ :- धीरज रखने पर,समय अनुसार,हर बात का परिणाम सामने आता ही है .

नि मरे ,नि माचौ छोड़े !

नि मरे ,नि माचौ  छोड़े !
अर्थ:- न हक़ से अलग  हटे न उस से दूर हो .

बाप बता ,के( नई तो ) श्राद्ध कर !

बाप बता ,के( नई तो ) श्राद्ध कर !
अर्थ :-  या तो प्रमाण बताओ ,या फिर अपनी बात से पीछे हट जाओ .



राणाजी केहवे वठैई रेवाड़ी !

राणाजी केहवे वठैई रेवाड़ी !
अर्थ :- अपने से ऊपर अधिकारी की बात को हर हाल में मान लेना .

ऊंट बिलाव लेग्यो , के हांजी ! बिलाव ऊंट लेग्यो , के हांजी !

ऊंट बिलाव लेग्यो के, हांजी ! बिलाव ऊंट लेग्यो के, हांजी !


शब्दार्थ :-क्या ऊंट बिल्ली को चुरा ले गया ? हां जी ! क्या बिल्ली ऊंट को चुरा ले गयी ? हां जी !

भावार्थ :- अपने से प्रभावशाली व्यक्ति की हर बात चाहे वो उचित हो या अनुचित, हाँ में हाँ मिलाना .

Monday, May 16, 2011

बासी बचे न कुत्ता खाय !

बासी बचे न कुत्ता खाय !
अर्थ :- किसी चीज़ को व्यर्थ न करना .

Monday, May 2, 2011

ओखळी में माथो दियो, घाव सूं कई डर .

ओखळी में माथो दियो, घाव सूं कई डर .

शब्दार्थ :-उखली (जिसमें की अनाज को कूटा जाता है )में,अगर सर दाल ही दिया है तो फिर चोट से क्या डरना

भावार्थ :- कार्य आरम्भ कर दिया है ,तो उसको आरम्भ कर दिए जाने के बाद कठिनताओं से घबराना नहीं चाहिए। 


घणा में घुण पड जावे .

घणा में घुण पड जावे .
अर्थ :- किसी अच्छे गुण या साधन की ज्यादा मात्रा में उपलब्धता भी कभी-कभी हानिकरक हो जाती है .

घणों धी,थाम्बा पर न'ई रगडी ज्यै !.

घणों धी,थाम्बा पर न'ई रगडी ज्यै !.

शब्दार्थ :- ज्यादा घी उपलब्ध हो तो भी,खम्भे पर नहीं चुपड़ा (लगाया) जा सकता है !

भावार्थ :- साधनों की आसानी से उपलब्धता को व्यर्थ नहीं किया जाता है !

घी ढुळीयो तो मुगां में .

घी ढुळीयो तो मुगां में .
अर्थ :- कुछ नुकसान हुआ , हो तो भी घूम - फिर कर  अपने पास ही लौट आना .

बींद रे मुंडे लाळौं पड़े , जानिया लाई कई करे !

बींद रे मुंडे लाळौं पड़े,जानिया लाई कांई करे !

शब्दार्थ :- वर के मुँह से लार गिरे,तो बाराती बचारे क्या करे ?
भावार्थ :- नेतृत्व ही लालचवश कमजोर हो जाये तो ,टीम लाचार हो जाती है  .

धणो हेत टूटण ने,मोठी आँख फूटण ने !

धणो हेत टूटण ने,मोठी आँख फूटण ने !
शब्दार्थ :- ज्यादा प्रेम का अंत लड़ाई से होता है और ज्यादा बड़ी आँख आखिरकार फुट कर ही रहती है।  
भावार्थ  :- अति हर चीज़ की बुरी होती है,फिर चाहे किसी के प्रति अत्यधिक प्रेम ही क्यों न हो।

मन बाहर रा पावणा , थने घी घालूं के तेल !

मन बाहर का पावणा , थने घी घालूं के तेल !

शब्दार्थ :-  बगैर इच्छा के आये हुए महमान,तेरा स्वागत भोजन में घी ङाल कर करूं या तैल ङाल कर।                            
 
भावार्थ :- बगैर दिल से जो काम करना पड़े , उसे येन-केन तरीके से निपटाना .

जेड़ो खावे अन्न , वेड़ो होवै मन !

जेड़ो खावे अन्न , वेड़ो होवै मन !
अर्थ :- यथा आहार , तथा विचार .


काळा सागे गोरो बेठे तो, रंग नई तो लखण तो आवैई !

काळा सागे गोरो बेठे तो, रंग नई तो लखण तो आवैई !
अर्थ :- जैसे लोगों की संगत होगी,उनका  असर तो आता ही है .