Friday, October 31, 2014

थाळी फूट्यां ठीकरो ई हाथ में आया करै !

थाळी फूट्यां ठीकरो ई हाथ में आया करै !

शब्दार्थ :-थाली टूट जाने पर उसका ठीकरा (टुकड़ा )ही हाथ लगता है।

भावार्थ :- अच्छी वस्तु/आपसी तालमेल में व्यवधान आने से या टूटने के परिणाम स्वरुप अंततः सभी हिस्सेदारों के हाथ उसका छोटा या कम उपयोगी भाग ही आता है।

पांचूं आंगळयां सरीसी कोनी हुव़ै !

पांचूं आंगळयां सरीसी कोनी हुव़ै !

शब्दार्थ :-आकार-प्रकार में पांचों उंगलियां एक  समान नहीं होती है।

भावार्थ :- सब आदमी या सब चीजें बराबर नहीं होती हैं,गुण-दोषों के  आधार पर प्रकृति ने भी  सबको अलग-अलग बनाया जरूर है,परन्तु कोई भी आदमी या चीज अनुपयोगी नहीं है।

Thursday, October 30, 2014

काम करे ऊधोदास, जीम जावे माधोदास !

काम करे ऊधोदास, जीम  जावे माधोदास !

शब्दार्थ :- ऊधोदास काम करता है और माधोदास खा जाता है !

भावार्थ :- कोई एक व्यक्ति की मेहनत से किये हुए काम का श्रेय कोई दूसरा व्यक्ति ले लेता है .

Wednesday, October 29, 2014

थोथो शंख पराई फूँक सै बाजै !

थोथो शंख पराई फूँक सै बाजै !

शब्दार्थ :- खोखला शंख किसी के द्वारा फूँक मारने से ही बजता है।

भावार्थ :- जिस व्यक्ति मेँ स्वयं मेँ कोई गुण नहीँ होता है,वह दूसरोँ का अनुसरण ही करता है स्वयं कोई निर्णय नहीं कर पाता  है।

Monday, October 27, 2014

कै पूरण ज्ञानी भलो,कै तो भलो अजाण । मूढमति अधवीच को ,जळ मां जिसों पखाण।।

कै पूरण ज्ञानी भलो,कै तो भलो अजाण । मूढमति अधवीच को ,जळ मां जिसों पखाण।।

शब्दार्थ :- या तो व्यक्ति पूर्ण ज्ञानी अच्छा होता है या फिर पूरा अज्ञानी ही ठीक होता है।  अपूर्ण ज्ञान या अपूर्ण जानकारी वाला तो जैसे पानी में पड़ा हुआ पथ्थर सामान होता है।
भावार्थ :-आधा-अधूरा ज्ञान या जानकारी ज्ञान ता से ज्यादा नुकसानप्रद हो सकता है।

पईसारी हांडी पण बजा‘र लेवै़ !

पईसारी हांडी पण बजा‘र लेवै़ !

शब्दार्थ :-पैसे की हांड़ी ( एक पैसे की / काम मूल्य की ) भी बजाकर लेते हैं

भावार्थ :- चाहे थोड़े मोल का ही मालखरीदना हो पर उसको खूब देखभाल कर लेना ही लेना चाहिए / लेते हैं । छोटे काम को भी खूब विचारपूर्वक करना चाहिए / करते हैं ।

दिन फिरै जद चतराई चूल्हे में जाय परी !

दिन फिरै जद चतराई चूल्हे में जाय परी !                               

शब्दार्थ :- जब दिन बदल जाते हैं तो चतुराई चूल्हे में जा पड़ती है।                                                            

भावार्थ :- जब किसी का समय बुरा चल रहा होता है तो वेसे में चतुराई से भी काम नहीं बन पाता है ।

घर रा छोरा घट्टी चाटे, पाडौसी ने आटो !

घर रा छोरा घट्टी चाटे, पाडौसी ने आटो !

शब्दार्थ :- घर के बच्चे तो खाने के लिए तरस रहे हैं,परन्तु पड़ौसी का भोजन या आटा दिया जा रहा है।

भावार्थ :- झूठी शान या अपना नाम या प्रसिद्धि के लिए अपनी क्षमता से अधिक खर्च करना / स्वयं का  नुकसान करते हुए भी दूसरों का लाभ करना जिससे की अपना नाम हो।

घी घल्योड़ो तो अँधेरा में बी छानों कोनी रैवे !

घी घल्योड़ो तो अँधेरा में बी छानों कोनी रैवे !                

शब्दार्थ :- भोजन में अगर घी डाला हो तो,नहीं बताने पर भी  छुपा नहीं रहता है ।                                       

भावार्थ :- किसी की भलाई का काम या कोई अच्छा किया हुआ काम प्रसिद्धी का मोहताज़ नहीं होता है,वो सामने आ ही जाता है ।

संगत बड़ा की कीजिये , बढत बढत बढ जाए ! बकरी हाथी पर चढी , चुग चुग कॊंपळ खाए !!

संगत बड़ा की कीजिये , बढत बढत बढ जाए !
बकरी हाथी पर चढी , चुग चुग कॊंपळ खाए !!

शब्दार्थ :-भावार्थ :-संगति हमेशा बड़ो की करनी चाहिए, जिससे उत्तरोत्तर वृद्धि हो जाती है।  .. बकरी ने हाथी से संगति की तो हाथी ने उसे अपनी पीठ पर बैठा लिया और अब वह चुन-चुन कर ऊँचे वृक्षों की हरी कोपले खा रही है।
भावार्थ :- संगति हमेशा बड़ो की,समृद्ध लोगों प्रभावशाली लोगों की करनी चाहिए। जिससे कि उनके अनुभव और ज्ञान से स्वयं को लाभ हाँसिल हो सकता है।

सत मत छोड़ो हे नराँ,सत छोड़्याँ पत जाय | सत की बाँधी लिच्छमी फेर मिलेगी आय ||

सत मत छोड़ो हे नराँ,सत छोड़्याँ पत जाय |
सत की बाँधी लिच्छमी फेर मिलेगी आय ||

शब्दार्थ :-सत्य का साथ मत छोडो ,सत्य का साथ छोड़ देने से सम्मान चला जाता है। अगर किसी कारण वश लक्ष्मी / वैभव कम हो गया हो तब भी सत्य की राह चलने से पुनः प्राप्त हो जाएगी। 

भावार्थ :- सत्यमेव जयते ! सत्य की अंततः विजय निश्चित है।

रूपलालजी गुरू, बाकी सब चेला !

रूपलालजी गुरू, बाकी सब चेला !
शब्दार्थ :-रुपया गुरु है, बाकी सब चेले हैं ।
 भावार्थ :- रुपया सबसे बड़ा है।

Monday, October 20, 2014

घर री खांड करकरी लागै चोरी रो गुड़ मीठो !

घर री खांड करकरी लागै चोरी रो गुड़ मीठो !

शब्दार्थ :-घर की खांड़/शक्कर करकरी लगती है, चोरी का गुड़ मीठा लगता है .

भावार्थ :- स्वयं की स्वामित्व की वस्तु का तिरस्कार करके मुफ्त की वस्तु पर आंख लगाना ।

Friday, October 17, 2014

झुकतै चेळा रा सै सीरी !

झुकतै चेळा रा सै सीरी !
शब्दार्थ :- तराजू के पल्ले में से झुकते हुए पल्ले में सब भागीदारी चाहते हैं।

भावार्थ :-अपने मतलब या स्वार्थ सिद्धि हेतु हर कोई उसी तरफ हो जाता है जिस तरफ अधिक फायदा होता है।

कात्यो पींज्यो कपास हुग्यो !

कात्यो पींज्यो कपास हुग्यो !

शब्दार्थ :- काता हुआ धागा और धुनी हुई रूई,सारी फिर कपास हो गई  !

भावार्थ :-मेहनत कर के किसी कार्य को पूर्ण किया पर किसी कारण से पूरा काम नष्ट हो गया।

Thursday, October 16, 2014

कह्याँ किसो कूवे में पड़ीजै ?

कह्याँ किसो कूवे में पड़ीजै ?
शब्दार्थ :-किसी के कहने मात्र से कौन सा कूवे में गिरा जाता है ?
भावार्थ :- किसी की सलाह मात्र से कोई ऐसा कार्य नहीं किया जाता है कि जिसमें हानि निश्चित हो।

कुम्हार कुम्हारी ने तो कोनी जीतै, गधैड़ै का कान मरोड़ै।

कुम्हार कुम्हारी ने तो कोनी जीतै, गधैड़ै का कान मरोड़ै।

शब्दार्थ :-किसि बात पर बहस में कुम्हार अपनी पत्नी से जीत नहीं पता है तो अपने गधे का  कान उमेठ  देता है।

भावार्थ :-  किसी चर्चा या बहस में अपनी बात नहीं मनवा सकने पर उसकी खीज़ किसी निर्बल या असहाय पर निकलना।

Sunday, October 12, 2014

बळयोड़ी बाटी ई उथळीजै कोनी।

बळयोड़ी बाटी ई उथळीजै कोनी।

शब्दार्थ :- जली हुई रोटी को भी नहीं पलटा जा सकता है।

भावार्थ :- आलस्य या कामचोरी के कारण सामने दिखाई देती हुए हानि को भी नहीं रोक सकते हैं ।

गंडक रे भरोसे गाडो कोनी चाले ।

गंडक रे भरोसे गाडो कोनी चाले ।

शब्दार्थ :- कुत्ते की जिम्मेदारी पर गाड़ी नहीं चल सकती है।

भावार्थ :- असक्षम या साधन विहीन लोगों या संस्थान की जिम्मेदारी पर महत्वपूर्ण कार्य नहीं सौंपा जा सकता है।

बकरी रे मूंढा में मतीरो कुण खटण दे ?

बकरी रे मूंढा में मतीरो कुण खटण दे  ?

शब्दार्थ :-बकरी के मुहँ में तरबूज कौन रहने देता है?

भावार्थ :- कमजोर / असहाय व्यक्ति को प्रभुत्वशाली और सक्षम लोग लाभ नहीं उठाने देते हैं। 

पागड़ी गयी आगड़ी, सिर सलामत चायीजै।

पागड़ी गयी आगड़ी, सिर सलामत चायीजै।

शब्दार्थ :-  पगड़ी रहे न रहे सिर की सलामती ज्यादा जरुरी है।
भावार्थ :- स्वार्थ की सिद्धि होती हो तो लोक-लाज की परवाह या मर्यादा की चिंता नहीं। 

करमहीन किसनियो, जान कठै सूं जाय । करमां लिखी खीचड़ी, घी कठै सूं खाय ।।

करमही किसनियो, जान कठै सूं जाय । करमां लिखी खीचड़ी, घी कठै सूं खाय ।।

शब्दार्थ :- भाग्यहीन किसन नामक व्यक्ति किसी विवाह समारोह में शामिल नहीं हो सकता है। उसके भाग्य में तो खिचड़ी खाना लिखा है वो घी कहाँ खा पायेगा।

भावार्थ :- भाग्य में जितना फल प्राप्त होना तय है,किसी  को उससे अधिक प्राप्त नहीं होता है।

घर तो घोस्यां का बळसी, पण सुख ऊंदरा भी कोनी पावै।

घर तो घोस्यां का बळसी, पण सुख ऊंदरा भी कोनी पावै।

शब्दार्थ :- अगर ' घोसीयों ' के घर जलेंगे तो उनकी हानि तो अवश्य होगी परन्तु वहां रहने वाले चूहे भी सुखी नहीं  रहेंगे।  ( घोसी = एक मुस्लिम जाति,जो की पशु पालन और दूध का व्यवसाय करते हैं.)
भावार्थ :-किसी व्यक्ति या संस्थान को अगर हानि होती है तो उन पर निर्भर अन्य लोगों को की मुसीबतों को सहन करना पड़ता है।

Friday, October 3, 2014

मान मनाया खीर न खाया, अैंठा पातल चाटण आया !

मान मनाया खीर न खाया, अैंठा पातल चाटण आया !

शब्दार्थ :- सन्मान के साथ मनाया तब खीर भी नहीं खायी परन्तु अब जूठे पतल चाटने को आ पहुंचे।
भावार्थ :- सन्मान के साथ जब मान-मनौवल की तब तो घमंड/अहम के कारण उच्च स्तर का कार्य भी नहीं करने को तैयार हुए पर जब समय बीत गया तब स्तरहीन कार्य भी करने तैयार हो गए। 

कागलां री दुरासीस सूं ऊंट कौनी मरै !

कागलां री दुरासीस सूं ऊंट कौनी मरै !
शब्दार्थ :-कौवे के श्राप देने मात्र से ऊँट नहीं मर सकता है।
भावार्थ :- निर्बल या असक्षम व्यक्ति के चिंतन से सक्षम व्यक्ति का बुरा नहीं हो सकता है।

पाणी पीणो छाणियो, करणो मनरो जाणियो !

पाणी पीणो छाणियो, करणो मनरो जाणियो !

शब्दार्थ :- पानी हमेशा छान कर पीना चाहिए और कोई भी काम हो मन मुताबिक  तब ही करना चाहिये।

भावार्थ :- किसी भी काम अच्छी तरह से जान समझ कर और अपने मन मुताबिक हो तब ही करना चाहिए,सूानो सबकी करो मन की।

राणाजी केहवे वठैई रेवाड़ी !

राणाजी केहवे वठैई रेवाड़ी !

शब्दार्थ :- महाराणा जहां कहे वहीँ उनकी राजधानी हो सकती है।

भावार्थ :-समर्थ एवं समृद्ध व्यक्ति की उचित/अनुचित हर बात को हर जगह प्रधान्य मिलता है।

धणो हेत टूटण ने,मोठी आँख फूटण ने !

धणो हेत टूटण ने,मोठी आँख फूटण ने !

शब्दार्थ :- जरुरत से ज्यादा प्रेम का टूटन निश्चित है और अधिक बड़ी आँख का फूटना भी !

भावार्थ :- अति हर चीज़ की बुरी होती है,फिर चाहे वो किसी अच्छी बात या चीज़ की ही क्यों ना हो। 

आंधी पीसे , कुत्ता खाय , पापी रो धन परले जाय !

आंधी पीसे , कुत्ता खाय , पापी रो धन परले जाय !

 शब्दार्थ :- अंधी औरत अनाज पीसती है , लेकिन कुत्ता खा लेता हैं,पापी के धन का नाश होता है।

भावार्थ :-पाप कर्म से और अनुचित कार्य से अर्जित धन का विनाश हो जाता है ।

बाप बता ,के( न'ई तो ) श्राद्ध कर !

बाप बता ,के( न'ई तो ) श्राद्ध कर !

शब्दार्थ :-या तो तुम्हारे पिताजी को दिखाओ या फिर उनका श्राद्ध कर डालो।

भावार्थ :-अपनी बात का सुबूत दिखाओ या फिर उस बात की समाप्त  कर दो जिस पर विवाद है।

कदै घी घणा,कदै मुट्ठी चणा !

कदै घी घणा,कदै मुट्ठी चणा !             -                            
                  
शब्दार्थ :- कभी बहुत अधिक घी प्राप्त मिल गया और कभी केवल एक मुट्ठी चने ही मिले।                            
भावार्थ :- किसी वस्तू या परिस्तिथि की कभी बहुतायत होना और कभी अत्यंत कमी या न्यूनता होना ।

न जाण , न पिछाण, हूँ लाडा री भुवा !

न जाण ,न पिछाण, हूँ लाडा री भुवा !

शब्दार्थ :- न जान, न पहचान, मैं वर की भुआ
भावार्थ :- किसी बात की गहराई को जाने बिना अपना मत रखना और उसे मनवाने की जिद्द करना ।

Thursday, October 2, 2014

मांग्या मिलै रे माल, जकांरै कांई कमी रे लाल !

मांग्या मिलै रे माल, जकांरै कांई कमी रे लाल !

शब्दार्थ :- जिनको मांगने से ही धन मिल जाता है,उनको किसी चीज़ की क्या कमी हो सकती है ?

भावार्थ :-ऐसे लोग जिनको अपना गुजारा/काम ही मांग-तांग कर चलाना होता है,उनको क्या परेशानी हो सकती है ? परन्तु जिनका उद्देश्य परिश्रम से ही सफलता हांसिल करना होता है,उनको कष्ट तो सहन करना ही पड़ता है।