करमहीन किसनियो, जान कठै सूं जाय । करमां लिखी खीचड़ी, घी कठै सूं खाय ।।
शब्दार्थ :- भाग्यहीन किसन नामक व्यक्ति किसी विवाह समारोह में शामिल नहीं हो सकता है। उसके भाग्य में तो खिचड़ी खाना लिखा है वो घी कहाँ खा पायेगा।
भावार्थ :- भाग्य में जितना फल प्राप्त होना तय है,किसी को उससे अधिक प्राप्त नहीं होता है।
शब्दार्थ :- भाग्यहीन किसन नामक व्यक्ति किसी विवाह समारोह में शामिल नहीं हो सकता है। उसके भाग्य में तो खिचड़ी खाना लिखा है वो घी कहाँ खा पायेगा।
भावार्थ :- भाग्य में जितना फल प्राप्त होना तय है,किसी को उससे अधिक प्राप्त नहीं होता है।
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