पांचूं आंगळयां सरीसी कोनी हुव़ै !
शब्दार्थ :-आकार-प्रकार में पांचों उंगलियां एक समान नहीं होती है।
भावार्थ :- सब आदमी या सब चीजें बराबर नहीं होती हैं,गुण-दोषों के आधार पर प्रकृति ने भी सबको अलग-अलग बनाया जरूर है,परन्तु कोई भी आदमी या चीज अनुपयोगी नहीं है।
शब्दार्थ :-आकार-प्रकार में पांचों उंगलियां एक समान नहीं होती है।
भावार्थ :- सब आदमी या सब चीजें बराबर नहीं होती हैं,गुण-दोषों के आधार पर प्रकृति ने भी सबको अलग-अलग बनाया जरूर है,परन्तु कोई भी आदमी या चीज अनुपयोगी नहीं है।
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