कागलां री दुरासीस सूं ऊंट कौनी मरै !
शब्दार्थ :-कौवे के श्राप देने मात्र से ऊँट नहीं मर सकता है।
भावार्थ :- निर्बल या असक्षम व्यक्ति के चिंतन से सक्षम व्यक्ति का बुरा नहीं हो सकता है।
शब्दार्थ :-कौवे के श्राप देने मात्र से ऊँट नहीं मर सकता है।
भावार्थ :- निर्बल या असक्षम व्यक्ति के चिंतन से सक्षम व्यक्ति का बुरा नहीं हो सकता है।
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