घर री खांड करकरी लागै चोरी रो गुड़ मीठो !
शब्दार्थ :-घर की खांड़/शक्कर करकरी लगती है, चोरी का गुड़ मीठा लगता है .
भावार्थ :- स्वयं की स्वामित्व की वस्तु का तिरस्कार करके मुफ्त की वस्तु पर आंख लगाना ।
शब्दार्थ :-घर की खांड़/शक्कर करकरी लगती है, चोरी का गुड़ मीठा लगता है .
भावार्थ :- स्वयं की स्वामित्व की वस्तु का तिरस्कार करके मुफ्त की वस्तु पर आंख लगाना ।
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