Thursday, October 16, 2014

कुम्हार कुम्हारी ने तो कोनी जीतै, गधैड़ै का कान मरोड़ै।

कुम्हार कुम्हारी ने तो कोनी जीतै, गधैड़ै का कान मरोड़ै।

शब्दार्थ :-किसि बात पर बहस में कुम्हार अपनी पत्नी से जीत नहीं पता है तो अपने गधे का  कान उमेठ  देता है।

भावार्थ :-  किसी चर्चा या बहस में अपनी बात नहीं मनवा सकने पर उसकी खीज़ किसी निर्बल या असहाय पर निकलना।

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