मान मनाया खीर न खाया, अैंठा पातल चाटण आया !
शब्दार्थ :- सन्मान के साथ मनाया तब खीर भी नहीं खायी परन्तु अब जूठे पतल चाटने को आ पहुंचे।
भावार्थ :- सन्मान के साथ जब मान-मनौवल की तब तो घमंड/अहम के कारण उच्च स्तर का कार्य भी नहीं करने को तैयार हुए पर जब समय बीत गया तब स्तरहीन कार्य भी करने तैयार हो गए।
शब्दार्थ :- सन्मान के साथ मनाया तब खीर भी नहीं खायी परन्तु अब जूठे पतल चाटने को आ पहुंचे।
भावार्थ :- सन्मान के साथ जब मान-मनौवल की तब तो घमंड/अहम के कारण उच्च स्तर का कार्य भी नहीं करने को तैयार हुए पर जब समय बीत गया तब स्तरहीन कार्य भी करने तैयार हो गए।
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