Sunday, October 12, 2014

घर तो घोस्यां का बळसी, पण सुख ऊंदरा भी कोनी पावै।

घर तो घोस्यां का बळसी, पण सुख ऊंदरा भी कोनी पावै।

शब्दार्थ :- अगर ' घोसीयों ' के घर जलेंगे तो उनकी हानि तो अवश्य होगी परन्तु वहां रहने वाले चूहे भी सुखी नहीं  रहेंगे।  ( घोसी = एक मुस्लिम जाति,जो की पशु पालन और दूध का व्यवसाय करते हैं.)
भावार्थ :-किसी व्यक्ति या संस्थान को अगर हानि होती है तो उन पर निर्भर अन्य लोगों को की मुसीबतों को सहन करना पड़ता है।

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