Sunday, December 14, 2014

आज री थेप्योड़ी आज कौनी बळे !

आज री थेप्योड़ी आज कौनी बळे !शब्दार्थ :- आज के पाथे हुए ( गोबर के ) कंडे आज नही जलते |

भावार्थ :- कोई भी कार्य को होने में कुछ समय लगता है, जिसके लिए धीरज रखने की अावश्यकता होती है।

धापी थारी छाछ सूं, कुत्ता सूं छुड़ाव !

धापी थारी छाछ सूं, कुत्ता सूं छुड़ाव !
शब्दार्थ :-तेरी छाछ से तौबा, मुझे तेरे कुत्तों से छुड़ा दे ।

भावार्थ :- दूसरे से अपना काम निकलवाने गए,परन्तु वहाँ तो उल्टा मुसीबत गले में पड़े गयी ।

Friday, December 12, 2014

टुकड़ा दे दे बछड़ा पाल्या, सींग हुया जद मारण चाल्या।

टुकड़ा दे दे बछड़ा पाल्या, सींग हुया जद मारण चाल्या।

शब्दार्थ :- बछड़े को पाल-पोष कर बड़ा किया, लेकीन बड़ा हो जाने पर मारने का प्रयास करने लग गया

भावार्थ :-जिनको प्रयास कर जिनको आगे बढ़ाया,वो ही बड़े हो जाने पर पालक को ही क्षति पहुचने लग गए।

काणती (काणी) भेड़ को न्यारो ही गवाड़ो !

काणती (काणी) भेड़ को न्यारो ही गवाड़ो !

शब्दार्थ :-
– कानी अर्थात जिसकी एक आँख न हो ऐसी भेड़ की बस्ती अल होती है।

भावार्थ :-निकृष्ट व्यक्तियोँ को जब विशिष्ट लोगोँ मेँ स्थान प्राप्त नहीं हो पाता है तो,वे अपना समूह  अलग ही बना लेते हैँ।

आधी छोड़ पूरी नै धावे,आधी मिळे न पूरी पावै !

आधी छोड़ पूरी नै  धावे,आधी मिळे न पूरी पावै !

शब्दार्थ :- आधी को छोड़कर,पूरी पाने के पीछे भागने पर,पूरी तो मिलती नहीं है लेकिन आधी भी चली जाती है।

भावार्थ :- जो प्राप्त हो गयी हो ऐसी आधी चीज का संतोष न मानकर,पूरी पाने का प्रयास करता है,उसे पूरी तो मिले न मिले लेकिन मिली हुई चीज भी हाथ से चली जाती है।

Tuesday, December 9, 2014

छदाम को छाजलो, छै टका गंठाई का।

छदाम को छाजलो, छै टका गंठाई का।
शब्दार्थ :-छदाम (
सिक्के का एक मान जो छः दामों अर्थात् पुराने पैसे के चौथाई भाग के बराबर होता था ) का सूपड़ा लेकिन उसको बनवाने का दाम छह सिक्कों जितना।
भावार्थ :-  किसी वस्तु की वास्तविक कीमत तो कम हो,परन्तु उसको उपयोग लेने लायक बनाने की कीमत कई गुना ज्यादा लगे ।

Sunday, December 7, 2014

बगल में छोरो, गांव़ में ढींढोरौ !

बगल में छोरो, गांव़ में ढींढोरौ !

शब्दार्थ :- लड़का अपने पास ही हो और लडके को ढूंढने के लिए गांव में ढिंढोरा पीटना !

भावार्थ :- कोई चीज अपने पास ही मौजूद हो,लेकिन उसे हर तरफ ढूंढना।

Saturday, December 6, 2014

कागद री हांडी चूल्है चढै कोनी !

कागद री हांडी चूल्है चढै कोनी !

शब्दार्थ :- 
कागज की हंडिया चूल्हे पर नहीं चढ़ती।

भावार्थ :- बेईमानी से किया हुआ कार्य सफल नहीं होता है।

नौकरी रे नकारे रो बैर है !

नौकरी रे नकारे रो बैर है !
शब्दार्थ :-
नौकरी के और नकार(मनाही ) में बैर है !
भावार्थ :-
नौकर मालिक की बात से मना नहीं कर सकता,मालिक की बात को न करने से नौकरी नहीं हो सकती है।

Thursday, December 4, 2014

करणी जिसी भरणी !

करणी जिसी भरणी !

शब्दार्थ :- जैसा कर्म,वैसा प्रतिफल !

भावार्थ :- जैसा कार्य करेंगे ,फल भी उसी प्रकार का प्राप्त होगा ।

अणमांग्या मोती मिलै, मांगी मिलै न भीख।

अणमांग्या मोती मिलै, मांगी मिलै न भीख।

शब्दार्थ :- बगैर मांगे मोती मिल जाता है,जबकि मांगने से भीख भी नहीं मिलती है।
भावार्थ :- मांगे बगैर भी कोई मुल्यवान चीज़ मिल जाती है जबकि कई बार मांगने पर भी तुच्छ वस्तु हांसिल नहीं होती है,वरन आत्मसम्मान को भी ठेस पहुंचती है।

कठैई जावो पईसां री खीर है !

कठैई जावो पईसां री खीर है !

शब्दार्थ :- कहीं भी चले जाएँ,पैसें की ही खीर है।

भावार्थ :- हर जगह पर पैसे का ही महत्त्व है।

मन'रै हरयाँ हार है, मन'रै जीत्यां जीत !

मन'रै हरयाँ हार है, मन'रै जीत्यां जीत !

शब्दार्थ :- सफलता और असफलता मन पर ही निर्भर है,अगर मन से ही हार मान लें तो जीत नहीं मिल सकती है ।

भावार्थ :- मन में सफलता की आशा हो तो ही सफलता मिलती है और मन ही हिम्मत हार जाये तो असफलता निश्चित है।