आज री थेप्योड़ी आज कौनी बळे !शब्दार्थ :- आज के पाथे हुए ( गोबर के ) कंडे आज नही जलते |
भावार्थ :- कोई भी कार्य को होने में कुछ समय लगता है, जिसके लिए धीरज रखने की अावश्यकता होती है।
भावार्थ :- कोई भी कार्य को होने में कुछ समय लगता है, जिसके लिए धीरज रखने की अावश्यकता होती है।
मारवाडी भाषा री पोस्ट ,मजो आजाई पढ़ो तो सही एक बार click here
ReplyDeleteMaharo rajasthan
ReplyDeleteNice and best
ReplyDeleteअच्छा संकलन
ReplyDeleteबहुत अच्छा।
ReplyDeleteसभी प्रसिद्ध कवियों की कविताएँ पढ़ने के लिए एक बार विजिट जरूर करें।
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Wah sa wah
ReplyDeleteवा sa एडी बात सुन मजो आएगीयो
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