Sunday, December 14, 2014

आज री थेप्योड़ी आज कौनी बळे !

आज री थेप्योड़ी आज कौनी बळे !शब्दार्थ :- आज के पाथे हुए ( गोबर के ) कंडे आज नही जलते |

भावार्थ :- कोई भी कार्य को होने में कुछ समय लगता है, जिसके लिए धीरज रखने की अावश्यकता होती है।

7 comments:

  1. अच्छा संकलन

    ReplyDelete
  2. बहुत अच्छा।

    सभी प्रसिद्ध कवियों की कविताएँ पढ़ने के लिए एक बार विजिट जरूर करें।

    https://sahityalankar.blogspot.com/

    ReplyDelete
  3. वा sa एडी बात सुन मजो आएगीयो

    ReplyDelete