Friday, December 12, 2014

काणती (काणी) भेड़ को न्यारो ही गवाड़ो !

काणती (काणी) भेड़ को न्यारो ही गवाड़ो !

शब्दार्थ :-
– कानी अर्थात जिसकी एक आँख न हो ऐसी भेड़ की बस्ती अल होती है।

भावार्थ :-निकृष्ट व्यक्तियोँ को जब विशिष्ट लोगोँ मेँ स्थान प्राप्त नहीं हो पाता है तो,वे अपना समूह  अलग ही बना लेते हैँ।

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