Thursday, October 2, 2014

मांग्या मिलै रे माल, जकांरै कांई कमी रे लाल !

मांग्या मिलै रे माल, जकांरै कांई कमी रे लाल !

शब्दार्थ :- जिनको मांगने से ही धन मिल जाता है,उनको किसी चीज़ की क्या कमी हो सकती है ?

भावार्थ :-ऐसे लोग जिनको अपना गुजारा/काम ही मांग-तांग कर चलाना होता है,उनको क्या परेशानी हो सकती है ? परन्तु जिनका उद्देश्य परिश्रम से ही सफलता हांसिल करना होता है,उनको कष्ट तो सहन करना ही पड़ता है। 

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