मन बाहर का पावणा , थने घी घालूं के तेल !
शब्दार्थ :- बगैर इच्छा के आये हुए महमान,तेरा स्वागत भोजन में घी ङाल कर करूं या तैल ङाल कर।
शब्दार्थ :- बगैर इच्छा के आये हुए महमान,तेरा स्वागत भोजन में घी ङाल कर करूं या तैल ङाल कर।
भावार्थ :- बगैर दिल से जो काम करना पड़े , उसे येन-केन तरीके से निपटाना .
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