Monday, May 2, 2011

मन बाहर रा पावणा , थने घी घालूं के तेल !

मन बाहर का पावणा , थने घी घालूं के तेल !

शब्दार्थ :-  बगैर इच्छा के आये हुए महमान,तेरा स्वागत भोजन में घी ङाल कर करूं या तैल ङाल कर।                            
 
भावार्थ :- बगैर दिल से जो काम करना पड़े , उसे येन-केन तरीके से निपटाना .

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