कदै घी घणा,कदै मुट्ठी चणा ! -
शब्दार्थ :- कभी बहुत अधिक घी प्राप्त होना और कभी केवल एक मुट्ठी चने ही मिलना।
भावार्थ :- किसी वस्तू या परिस्तिथि की कभी बहुतायत होना और कभी अत्यंत कमी या न्यूनता होना ।
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