शब्दार्थ :- आधी को छोड़कर,पूरी पाने के पीछे भागने पर,पूरी तो मिलती नहीं है लेकिन आधी भी चली जाती है।
भावार्थ
:- जो प्राप्त हो गयी हो ऐसी आधी चीज का संतोष न मानकर,पूरी पाने का
प्रयास करता है,उसे पूरी तो मिले न मिले लेकिन मिली हुई चीज भी हाथ से चली
जाती है।