Monday, May 14, 2018

करम कारी नहीं लागण दै जद कांई हुवै



करम कारी नहीं लागण दै जद कांई हुवै?
भावार्थ:- भाग्य पैबन्द ही नहीं लगने दे तो क्या हो सकता है?
भाग्य साथ न दे तो क्या हो सकता है?
भाग्य ही साथ न दे तो प्रयत्न व्यर्थ है।

 (भाग्यं फलति सर्वत्र न विद्या न पौरुषम्)

Friday, May 11, 2018

एक आँख किसी खोले अर किसी मींचे  !
शब्दार्थ :- अगर किसी की एक ही आँख होतो कौनसी आँख को खोलो और कौनसी आँख को बंद कर दे  |

भावार्थ :- अगर किसी के पास कोई चीज़ या रास्ता चुनने का विक्लप ही न हो तो मज़बूरी वश उसे एक ही रास्ता चुनना पड़ता है 

Sunday, December 14, 2014

आज री थेप्योड़ी आज कौनी बळे !

आज री थेप्योड़ी आज कौनी बळे !शब्दार्थ :- आज के पाथे हुए ( गोबर के ) कंडे आज नही जलते |

भावार्थ :- कोई भी कार्य को होने में कुछ समय लगता है, जिसके लिए धीरज रखने की अावश्यकता होती है।

धापी थारी छाछ सूं, कुत्ता सूं छुड़ाव !

धापी थारी छाछ सूं, कुत्ता सूं छुड़ाव !
शब्दार्थ :-तेरी छाछ से तौबा, मुझे तेरे कुत्तों से छुड़ा दे ।

भावार्थ :- दूसरे से अपना काम निकलवाने गए,परन्तु वहाँ तो उल्टा मुसीबत गले में पड़े गयी ।

Friday, December 12, 2014

टुकड़ा दे दे बछड़ा पाल्या, सींग हुया जद मारण चाल्या।

टुकड़ा दे दे बछड़ा पाल्या, सींग हुया जद मारण चाल्या।

शब्दार्थ :- बछड़े को पाल-पोष कर बड़ा किया, लेकीन बड़ा हो जाने पर मारने का प्रयास करने लग गया

भावार्थ :-जिनको प्रयास कर जिनको आगे बढ़ाया,वो ही बड़े हो जाने पर पालक को ही क्षति पहुचने लग गए।

काणती (काणी) भेड़ को न्यारो ही गवाड़ो !

काणती (काणी) भेड़ को न्यारो ही गवाड़ो !

शब्दार्थ :-
– कानी अर्थात जिसकी एक आँख न हो ऐसी भेड़ की बस्ती अल होती है।

भावार्थ :-निकृष्ट व्यक्तियोँ को जब विशिष्ट लोगोँ मेँ स्थान प्राप्त नहीं हो पाता है तो,वे अपना समूह  अलग ही बना लेते हैँ।

आधी छोड़ पूरी नै धावे,आधी मिळे न पूरी पावै !

आधी छोड़ पूरी नै  धावे,आधी मिळे न पूरी पावै !

शब्दार्थ :- आधी को छोड़कर,पूरी पाने के पीछे भागने पर,पूरी तो मिलती नहीं है लेकिन आधी भी चली जाती है।

भावार्थ :- जो प्राप्त हो गयी हो ऐसी आधी चीज का संतोष न मानकर,पूरी पाने का प्रयास करता है,उसे पूरी तो मिले न मिले लेकिन मिली हुई चीज भी हाथ से चली जाती है।