साँच कहवे थी मावडी, झूठ कहवे था लोग। खारी लागी मावडी, मीठा लाग्या लोग॥
शब्दार्थ :- माँ सच बोल रही थी जबकि लोग झूठ बोल रहे थे। लोग प्रिय लग रहे थे जबकि माँ अप्रिय लग रही थी।
भावार्थ :- माँ अपने बच्चों की भलाई के लिए सत्य बोलती है परन्तु वो सच मनवांछित नहीं होता इस कारन से कड़ुआ लगता है,जबकि पराये लोग जो अच्छा लगे वैसा ही बोलते हैं,फिर चाहे वो झूठ ही हो।
शब्दार्थ :- माँ सच बोल रही थी जबकि लोग झूठ बोल रहे थे। लोग प्रिय लग रहे थे जबकि माँ अप्रिय लग रही थी।
भावार्थ :- माँ अपने बच्चों की भलाई के लिए सत्य बोलती है परन्तु वो सच मनवांछित नहीं होता इस कारन से कड़ुआ लगता है,जबकि पराये लोग जो अच्छा लगे वैसा ही बोलते हैं,फिर चाहे वो झूठ ही हो।
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