बकरी रोव़ै जीव़ नै,खटीक रोव़ै खाल नै !
शब्दार्थ :-बकरी अपनी जान चली जाने के डर से रोती है,जबकि खटीक (चमड़े का व्यापार करने वाली जाती के लोग) को बकरी की खाल की चिंता है।
भावार्थ :- सबको अपने-अपने स्वार्थ का ध्यान है; सबको अपने लाभ की चिंता है,पर इस और किसी का ध्यान नहीं है की, इस स्वयं के लाभ के पीछे दूसरे पक्ष की कितनी हानि है।
शब्दार्थ :-बकरी अपनी जान चली जाने के डर से रोती है,जबकि खटीक (चमड़े का व्यापार करने वाली जाती के लोग) को बकरी की खाल की चिंता है।
भावार्थ :- सबको अपने-अपने स्वार्थ का ध्यान है; सबको अपने लाभ की चिंता है,पर इस और किसी का ध्यान नहीं है की, इस स्वयं के लाभ के पीछे दूसरे पक्ष की कितनी हानि है।
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