Monday, November 24, 2014

बावौ कठैई , अर ऊगै कठेई !

बावौ कठैई , अर ऊगै कठेई ! 

शब्दार्थ :- बोया कहीं और गया था,लेकिन उग गया कहीं दूसरी जगह पर !
भावार्थ :- अस्थिर मनोस्थिति वाले व्यक्ति एक जगह या एक बात पर पर टिक नहीं सकते हैं,वे अपना स्थान या अपना मत बदलते रहते हैं।

No comments:

Post a Comment