Saturday, November 15, 2014

जिस्या ने विस्या ही मिळ्या,ज्यां बामण नै नाई। बो दिवी आसकां, बो आरसी दिखाई॥

जिस्या ने विस्या ही मिळ्या,ज्यां बामण नै नाई। बो दिवी आसकां, बो आरसी दिखाई॥

शब्दार्थ :- एक प्रकार के आचार-व्यहवार वाले को उसी के जैसा मिल गया, जैसे की ब्राह्मण को नाई।एक अगर आसकां (हवन की राख) देता है, तो दुसरा कांच दिखा देता है ।

भावार्थ :- जैसे को तेसा ही मिलता है, कोई काम करवाने के बदले अगर एक कुछ नहीं देता है, दुसरा भी काम मुफ्त में करवा लेता है ।

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