Tuesday, August 12, 2014

छाज तो बोलै सो बोलै, पण चालणी भी बोलै जिकै ठोतरसो बेज !

छाज तो बोलै सो बोलै, पण चालणी भी बोलै जिकै ठोतरसो बेज !

शब्दार्थ : सुपाड़ा तो बोलता ही है (जब उसमें डाल कर अनाज साफ़ किया जाता है तब),परन्तु चलनी भी आवाज करती है,जिसमें की स्वयं अनगिनत छेद होते हैं.

भावार्थ :- – निर्दोष दूसरोँ को सीख देता है तब तक तो ठीक है परन्तु जो स्वयं दोषी हो वो दूसरे किसी को क्या सीख दे सकता है ?

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