बामण ने दी बूढी गाय,धरम न'ई तो दाळिदर जाये।
शब्दार्थ - ब्राह्मण को बूढी गाय दान में दी,जिससे पुण्य लाभ न भी हुआ तो भी बूढी गाय को खिलाने- पिलाने से तो पिंड छूटा।
भावार्थ :- स्वयं को बचाते हुए किसी अनुपयोगी वस्तू या कार्य को दूसरे सर मढ़ना .
शब्दार्थ - ब्राह्मण को बूढी गाय दान में दी,जिससे पुण्य लाभ न भी हुआ तो भी बूढी गाय को खिलाने- पिलाने से तो पिंड छूटा।
भावार्थ :- स्वयं को बचाते हुए किसी अनुपयोगी वस्तू या कार्य को दूसरे सर मढ़ना .
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