Friday, August 22, 2014

सदा न जुग में जीवणा, सदा न काळा केस। सदा न बरसे बादली, सदा न सावण होय।

सदा न जुग में जीवणा, सदा न काळा केस।
सदा न बरसे बादली, सदा न सावण होय।

शब्दार्थ :- संसार कोई भी अमर नहीं है,पूरी उम्र किसीके भी बाल काले नहीं रहते। बादल छाये हुए हों तो जरुरी नहीं कि बरसेंगे ही और हर मौसम सावन नहीं होता।

भावार्थ :- इस संसार में कोई भी वस्तु हमेशा के लिए एक सामान नही रहती है,सब कुछ समय के अधीन है और परिवर्तनशील है।

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