Saturday, August 30, 2014

पगां बळती को दिसै नी, डूंगर बळती दिस जाय !

पगां बळती को दिसै नी, डूंगर बळती दिस जाय !

शब्दार्थ :- पैरों के पास जलती आग नहीं दिखायी देती, दूर पहाड़ पर जलती हुई दिखायी दे जाती है।

भावार्थ :- अपने दोष नहीं देखते हैं, दूसरों के दिखायी पड़ जाते हैं।

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