चालणी में दूध दुवै, करमां ने दोस देवै !
शब्दार्थ :- चलनी में दूध दुहना और अपने भाग्य को दोष देना।
भावार्थ :- काम को अच्छी रूप-रेखा बनाये बगैर करना और व्यर्थ ही भाग्य को कोसना।
शब्दार्थ :- चलनी में दूध दुहना और अपने भाग्य को दोष देना।
भावार्थ :- काम को अच्छी रूप-रेखा बनाये बगैर करना और व्यर्थ ही भाग्य को कोसना।
No comments:
Post a Comment