Saturday, August 30, 2014

आयी ही छाछ नै, बण बैठी घर री धणियाणी !

आयी ही छाछ नै, बण बैठी घर री धणियाणी !

शब्दार्थ :-:-छाछ लेने के लिए आयी थी और घर की मालकिन बन बैठी।

भावार्थ :- सहायता लेने के बहाने से किसी बात को आरम्भ करके किसी बात या चीज पर अधिकार करने की कोशिश करना।

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