Thursday, September 25, 2014

आप री गरज गधै नेै बाप कहवावै!

आप री गरज गधै नेै बाप कहवावै!

शब्दार्थ:-
अपनी जरुरत/अपना हित गधे को बाप कहलवाती है।

भावार्थ :-स्वार्थसिद्धि के लिए अयोग्य/ कमतर व्यक्तित्व वाले आदमी की भी खुशामद करनी पड़ती है।

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