आपरी खा’यर परायी तक्कै, जाय हड़मान बाबै'रे धक्कै।
शब्दार्थ:- जो आदमी अपनी रोटी खाकर परायी को भी लेना चाहता है वह
हनुमानजी के धक्के चढ़ता है।
भावार्थ :- जो स्वयं की मेहनत का फल पाने के बाद भी संतोष नहीं करता है और छल-कपट से दूसरे का हक छीनना चाहता है,उसको मुसीबत का सामना करना पड़ता है।
शब्दार्थ:- जो आदमी अपनी रोटी खाकर परायी को भी लेना चाहता है वह
हनुमानजी के धक्के चढ़ता है।
भावार्थ :- जो स्वयं की मेहनत का फल पाने के बाद भी संतोष नहीं करता है और छल-कपट से दूसरे का हक छीनना चाहता है,उसको मुसीबत का सामना करना पड़ता है।
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