रांड भांड न छेड़िए , पण्घट पर दासी I
भूखो सिंह न छेड़िए , सुत्यो सन्यासी II
अर्थ - विधवा स्त्री , भांड , पनघट की दासी , भूखे सिंह एवं सोये हुए सन्यासी से कभी छेड़ छाड़ नहीं करनी चाहिए I
भूखो सिंह न छेड़िए , सुत्यो सन्यासी II
अर्थ - विधवा स्त्री , भांड , पनघट की दासी , भूखे सिंह एवं सोये हुए सन्यासी से कभी छेड़ छाड़ नहीं करनी चाहिए I
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