जाण मारै बाणियों , पिछाण मारै चोर !
शब्दार्थ:- बनिया ग्राहक की गरज को समझ कर अधिक ठगता है और चोर पूरी जानकारी लेकर चोरी करता
है ।
भावार्थ :- बनिया ग्राहक की आवश्यकता को भाँपकर वस्तु का मुल्य अधिक वसूलता है,जबकि चोर को जहाँ चोरी करनी होती ,वहां का भेद प्राप्त करने के बाद ही चोरी करता है।
शब्दार्थ:- बनिया ग्राहक की गरज को समझ कर अधिक ठगता है और चोर पूरी जानकारी लेकर चोरी करता
है ।
भावार्थ :- बनिया ग्राहक की आवश्यकता को भाँपकर वस्तु का मुल्य अधिक वसूलता है,जबकि चोर को जहाँ चोरी करनी होती ,वहां का भेद प्राप्त करने के बाद ही चोरी करता है।
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