Saturday, September 13, 2014

कदे 'क दूध बिलाई पीज्या, कदे 'क रहज्या काचो। कदे 'क नार बिलोवै कोनी, कदे 'क चूंघज्या बाछो।

कदे 'क दूध बिलाई पीज्या, कदे 'क रहज्या काचो।
कदे 'क नार बिलोवै कोनी, कदे 'क चूंघज्या बाछो।

शब्दार्थ:-घर में गायें  होने पर भी गृह स्वामी को कभी दूध दही नहीं मिल पाता। कभी दूध को बिल्ली पी जाती है, तो कभी वह कच्चा रह जाता है। कभी घर वाली बिलोना नहीं डालती तो कभी बछड़ा चूस जाता है।
 

भावार्थ :- साधनो के बावजूद योजना पूर्वक कार्य नहीं करने से कार्य सिद्धि में एक न एक बाधा उपस्थित होते रहती है ।

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