सती सराप देवे नी , छिनाल रो सराप लागे नी !
शब्दार्थ:- अपनी महानता के कारण सती तो श्राप देती नहीं है और छिनाल का श्राप फलित नहीं होता है ।
भावार्थ :- अच्छे व्यक्ति किसी का बुरा नहीं करते हैं और बुरे व्यक्ति अगर कसी का अनिष्ट चाहता है तो भी बुरा होता नहीं है। अतः किसी बुरे फल की नाहक चिंता नहीं करनी चाहिए।
शब्दार्थ:- अपनी महानता के कारण सती तो श्राप देती नहीं है और छिनाल का श्राप फलित नहीं होता है ।
भावार्थ :- अच्छे व्यक्ति किसी का बुरा नहीं करते हैं और बुरे व्यक्ति अगर कसी का अनिष्ट चाहता है तो भी बुरा होता नहीं है। अतः किसी बुरे फल की नाहक चिंता नहीं करनी चाहिए।
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