आळस नींद किसान ने खोवे , चोर ने खोवे खांसी ,
टक्को ब्याज मूळ नै खोवे , रांड नै खोवे हांसी।
अर्थ - किसान को निद्रा व आलस्य नष्ट कर देता है , खांसी चोर का काम बिगाड़ देती है , ब्याज के लालच से मूल धन भी है डूब जाता है और हंसी मसखरी विधवा को बिगाड़ देती है।
टक्को ब्याज मूळ नै खोवे , रांड नै खोवे हांसी।
अर्थ - किसान को निद्रा व आलस्य नष्ट कर देता है , खांसी चोर का काम बिगाड़ देती है , ब्याज के लालच से मूल धन भी है डूब जाता है और हंसी मसखरी विधवा को बिगाड़ देती है।
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