नागां री नव पांती अ'र सैंणा री एक।
शब्दार्थ :- उदण्ड/स्वछन्द व्यक्ति को किसी चीज के बंटवारे में नौ हिस्से चाहिए.
भावार्थ:- उदण्ड/स्वछन्द व्यक्ति किसी साझा हिस्से वाली चीज़ या संपत्ति में से अनुचित हिस्सेदारी लेना चाहता है जबकि सज्जन व्यक्ति अपने हक़ के ही हिस्से से ही संतुष्ठ रहता है.
शब्दार्थ :- उदण्ड/स्वछन्द व्यक्ति को किसी चीज के बंटवारे में नौ हिस्से चाहिए.
भावार्थ:- उदण्ड/स्वछन्द व्यक्ति किसी साझा हिस्से वाली चीज़ या संपत्ति में से अनुचित हिस्सेदारी लेना चाहता है जबकि सज्जन व्यक्ति अपने हक़ के ही हिस्से से ही संतुष्ठ रहता है.
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